Kavi Pushpadant
महाकवि पुष्पदंत
महाकवि पुष्पदंत अपभ्रंश भाषा के कवियों में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। महाकवि पुष्पदंत कश्यप गोत्रीय ब्राह्मण थे। उनके पिता का नाम केशव भट्ट और माता का नाम मुग्धा देवी था। प्रारंभ में कवि शैव ब्राह्मण थे। उन्होंने किसी भैरव राजा की प्रशंसा में काव्य रचना भी की थी बाद में किसी जैन मुनि के उपदेश से महाकवि पुष्पदंत जैन हो गए थे।
पुष्पदंत कविराज का समय लगभग विक्रम संवत 1044 के पूर्व माना गया है। कवि पुष्पदंत को कवि कुल तिलक, सरस्वती निलय और काव्य पिसल की उपाधि प्राप्त थी। कवि पुष्पदंत प्रतिभाशाली महाकवि होने के साथ जैन दर्शन के प्रकांड विद्वान एवं दार्शनिक थे। इनकी तीन रचनाएं उपलब्ध होती हैं।
1. तिसत्थिमहापुरिसगुणालंकार या महापुराण - यह महापुराण यह दो भागों में विभक्त है; आदि पुराण और उत्तर पुराण इन दोनों खंडों में 63 शलाका पुरुषों का चरित्र वर्णित है।
2. णाय कुमार चरिउ - यह एक सुंदर महाकाव्य है और इसमें नाग कुमार के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है।
3. जसहर चरिउ - यह एक सुंदर खंडकाव्य है। इसमें पुण्य पुरुष यशोधर के जीवन चरित्र का वर्णन किया है।
कवि पुष्पदंत की रचनाओं में छंद वैशिष्ट्य, अलंकार, भाषा की सुगमता आदि अनेक गुण देखे जा सकते हैं। कवि पुष्पदंत ने जीवन के अंतिम समय में समाधिमरण पूर्वक देखा त्याग किया।
Shastra by Kavi Pushpadant
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